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Meditation Healing

Healing by Cosmic energy,Dhyan and Mantras

Acharya Rajesh

Life Story of Acharya Ji

बाबू तू ज्योतिषी बनेगा ? नरसिंहगढ़ में आठवीं के बालक से पूछा गया ये सवाल निश्चित ही चौंकाने वाला था, फिर भी निडरता से उन औघढ़ बाबा को उत्तर मिला “हाँ बनूँगा. मुस्कुराते हुए औघढ़ बाबा ने अपने झोले से एक पुरानी सी किताब निकाली और बालक को दे कर अपनी राह चलते बने….

बाल मन की सुलभता और जिज्ञासा में बालक ने सन 1951 में मुद्रित हस्तरेखा की उस पुस्तक का मननपूर्वक वाचन किया उसमें लिखे सन्दर्भों, संकेतों को समझा और फिर खेल खेल में अपने दोस्तों की हस्तरेखा पढ़ कर उनके भाग्य बताना आरम्भ किया. जब उनके द्वारा बताई जाने वाली बातें सच होने लगी तब प्रोत्साहन मिला और वह बालक ज्योतिष शास्त्र के प्रति गंभीर हो गया. उसने अपनी स्कूली पढाई जारी रखते हुए समय के साथ ज्योतिष शास्त्र, अंक शास्त्र के भेदों का गहन अध्ययन करते हुए बड़ा हुआ.

वह बालक कोई और नहीं…. आज के आचार्य राजेश हैं.

30 नवम्बर 1966 को मध्य प्रदेश के गुना में जन्मे आचार्य राजेश की स्कूलिंग नरसिंहगढ़ में हुई. विज्ञान विषय में स्नातक की शिक्षा के दरमियान ही मिनी पी एस सी के जरिये उनकी नियुक्ति भोपाल लोक निर्माण विभाग में हो गई. स्नातक की विधिवत शिक्षा के लिए आचार्य राजेश ने महर्षि महेश योगी के ज्योतिष संस्थान में प्रवेश लिया और ज्योतिष शास्त्र विषय में अपनी उच्च शिक्षा प्राप्त की.  

सिंहस्थ 1992…. स्वयंभू महाकाल की नगरी में सिंहस्थ के पावन अवसर हर 12 वर्षों के बाद पर दुनिया भर से दैविक, पारलौकिक शक्तियों से परिपूर्ण संत-महात्मा, सन्यासी, साधू, बाबा, औघढ़ और लाखों धर्मप्रेमी क्षिप्रा के तट पर एकत्र होते हैं. माँ काली के खप्पर से उपजी खपरा यानि क्षिप्रा का जल सिंहस्थ में अमृत तुल्य माना जाता है. दुनिया भर से धर्मप्रेमी इस पावन समागम पर उज्जैन पहुँचते हैं. कार्यालय से एक माह का अवकाश लेकर आचार्य राजेश भी उज्जैन दर्शन को आये. त्रिकालदर्शी महाकाल की पावन ऊसर धरती पर उनकी मुलाकात एक और औघढ़ बाबा से हुई फिर वही जाना पहचाना प्रश्न सामने आ खड़ा हुआ…

बाबू तू ज्योतिषी बनेगा ?

आचार्य राजेश के हामी भरने पर औघढ़ बाबा उन्हें क्षिप्रा में स्नान के बाद अपने आश्रम ले गये और मौन रहने का आदेश दिया. लगातार 7 दिनों तक मौन आचार्य राजेश को बाबा ने ज्योतिष शास्त्र के कई गूढ़ रहस्यों को समझाया. कुल मिला कर 21 दिनों तक औघढ़ बाबा के सानिध्य में आचार्य राजेश ने ज्योतिष शास्त्र को समझा और फिर भोपाल लौटे|

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व्यक्ति को ज्योतिष का अभ्यास करने का अच्छा ज्ञान होना चाहिए, किसी भी प्रतिष्ठित संस्थान से ज्योतिष की उचित शिक्षा, ज्योतिष रिपोर्ट तैयार करने के लिए अच्छे कंप्यूटर कौशल के साथ अंग्रेजी और हिंदी में अच्छे लिखित और मौखिक कौशल के साथ प्रासंगिक अनुभव और स्काइप, चैट और चैट के लिए दुनिया भर के सदस्यों को परामर्श दे सकता है। फ़ोन।

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